ॐ श्री गणेशाय नमः

आत्म तत्व का क्या अर्थ है?

बीज के अंदर बास करने वाला तत्व को आत्मा कहते हैं । जैसे आम का फल , आम का फल उसका स्थूल देह है , उसकी गुठली सूक्ष्म देह है , और गुठली के अंदर बास करने वाला तत्व आत्म तत्व है । इसी तरह सभी चीज को समझा जा सकता है । गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि मन के अंदर जो अति सूक्ष्म तत्व निवास करता है वह आत्मा है ।

आत्मा में कितने तत्व होते हैं?

यह शरीर पांच तत्वों से बना है- मिट्टी, जल, वायु, अग्नि और आकाश। ये हमारे भौतिक शरीर के अवयव है। यह भौतिक शरीर स्थूल और नश्वर है।

आत्म तत्व क्या है जीवन में इसका महत्व?

मनुष्य तन अत्यंत दुर्लभ है और पूर्व जन्मों के पुण्यों के फलस्वरूप यह प्राप्त होता है। हम प्राय: अपने इस शरीर को ही सब कुछ समझ लेते हैं। इसीलिए संसार में रहकर हम शरीर-सुख के लिए प्रतिपल प्रयासरत रहते हैं, जबकि प्राणी का शरीर नाशवान है, क्षणभंगुर और मूल्यहीन है।

आत्म जागरण क्या है?

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आत्म-जागरूकता क्या है? अपने निजी मूल्यों, निजी गुणों, कौशलों और रुचियों को पहचानना और उन्हें महत्व देना ही आत्म-जागरूकता हैं। यह समझना कठिन होता हैं की आप वास्तव में अपने जीवन में क्या चाहते हैं। सफल लोग, अपने अंदर आत्माविश्वास जगाने और अपने सपनों ka पीछा करने का साहस जुटाने के लिए आत्मा जागरूकता का प्रयोग करतें हैं।

आत्म गुण क्या है?

उसी प्रकार आत्मा को संचालित करने के लिए जीवन में सात गुण (सुख, शां‍ति, प्रेम, आनंद, ज्ञान, शक्ति व पवित्रता) की आवश्यकता होती है क्योंकि आत्मा इन्हीं सात गुणों से मिलकर बनी है इसलिए आत्मा को सतोगुणी आत्मा कहा जाता है और इन सातों गुणों का मुख्य स्त्रोत है परमात्मा।